व्यावसायिक संस्थापकों के महान विचार

23:23 Nayisooch 0 Comments

         व्यावसायिक संस्थापकों के महान विचार

एक सफल उधमी के पीछे असफलता, हार तथा गलतियों की एक श्रंखला शामिल होती है | भले ही हम सफलता को कैसे भी परिभाषित करे ,यह हमें एक मायावी लक्ष्य की तरह महसूस होता है | इस हेतु हमें सफलता प्राप्त करने के लिए हमेशा कुछ प्रेरणा की जरूरत होती है | हमारी आज की ये पोस्ट आपको अपने जीवन में अपने लक्ष्य के प्रति प्रेरित रखेंगे |

मत सोचिये की आप विफल होंगे ,क्योंकि सफलता और विफलता आपके निर्णय पर ही आधारित है | – Alex Karp, CEO of Palantir

अगर आपके प्रोडक्ट में दम है ओर यदि आप ऐसा प्रोडक्ट बनाना चाहते है जिसे लोग वास्तव में प्यार करें | तो अपने प्रोडक्ट का मुनाफा कम करके उचित दाम पर बेचिए | तथा कर्मचारियों को हमेशा खुश रखिये | – Liu Qiangdong, founder of Jingdong

ई- व्यापार और पारंपरिक खुदरा विक्रेता विभिन्न उपभोक्ता समूह की मांग को पूरा करते है | पुराने लोग आज भी दुकानों पर जाना चाहते है ,जबकि हमारे वर्तमान ग्राहक ऑनलाइन वाणिज्य के लिए इन्टरनेट से परिचित है जिनमे मुख्य रूप से युवा लोग है | जबकि पुराने लोग आज भी स्टोर्स पर जाना पसंद करते है | जैसे की मेरे माता पिता जो की जियांग्सु प्रान्त में रहते है  ,आज भी एयर कंडीशनर तथा अन्य सामान खरीदने के लिए पास की Gome दुकान में जाना पसंद करते है | इसके बजाय की उनके बेटे की Online Shopping Website उपयोग करें | – Elon Musk, CEO of Space X

यदि कुछ करना महत्वपूर्ण है भले ही आपके हालात तथा आपकी परिस्थिति आपके पक्ष में न हो तो आपको उसे जरूर करना चाहिए | – Daniel Ek, CEO of Spotify

अपने उभोक्ताओं पर ध्यान केंद्रित करो और वह सुनने की कोशिश करो जो वे वास्तव में आपसे कहना चाहते है | वह नही जो वे आपको बताते है |

यदि Google आपको कुछ भी सिखाता है ,जबकि यह आपको छोटे विचारों को बड़ा बनाने तथा उन्हें मूर्त रूप देने में मदद कर सकता है | – Joel Gascoigne, CEO of Buffer

प्रोग्रामर्स उत्पादकता को बेहतर बनाने तथा लोगों के जीवन तथा व्यापार कार्यों को आसान बनाने हेतु कार्य करते है ,जिससे वे हमारे साथ साथ लोगों के जीवन को आरामदायक और आसान बनाते है | –Ryan Carson, CEO of Treehouse

अपनी टीम को अपने लक्ष्य और उसके कारणों के बारे में हर समय याद दिलाइए | उन्हें इसे ईमेल के द्वारा बताइए ,उनसे इस बारे में मीटिंग्स पर चर्चा कीजिए और हमेशा उन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रति आश्न्वित रखिये | केवल जीत की बात कीजिये | और हमेशा असफलता और तुरंत निर्णय लेने के लिए तैयार रहिये | – Steven Blank, Silicon Valley serial-entrepreneur

जो लीडर अपने व्यवसाय में जरूरी निर्णय लेने के लिए तुरंत तैयार रहता है और अपने फैसलों और निर्णयों को तेजी के साथ लागूं करता है ,वह ही अपने व्यवसाय में जल्दी सफलता प्राप्त कर पाता है | क्योंकि तुरंत निर्णय लेने की क्षमता ही आपको सफल बना सकती है | – Steven Blank, Silicon Valley serial-entrepreneur

Innovation एक लीडर और एक अनुयायी में अंतर बताता है | – Richard Branson, founder of Virgin Group

कौशल ( हुनर ) जूनून के सामने कुछ भी नही | क्योंकि कौशल सस्ता होता है ,जबकि कुछ कर दिखाने का जूनून अमूल्य | – Guy Kawasaki, Sillicon Valley marketing executive

धैर्य अपनी अधारिता को छिपाने की एक कला है |

अक्सर आपको अपने सपनो को पूरा करने के लिए ,डर का पीछा करना की आवश्यकता होगी | क्योंकि जब तक आप डर का सामना नही करेंगे और चीजों को समझने की कोशिश नही करेंगे | तब तक आप अपने सपनों को पूरा नही कर पाएंगे |

अपनी असफलता से शर्मिंदा मत होइए | बल्कि उससे सीखिए और फिर से शुरुआत कीजिये |

अपनी टीम को वास्तव में सशक्त ,सम्मानित और कंपनी के मिशन के प्रति हमेशा आशान्वित और उत्साहित बनाये रखिये |

एक बड़ा जोखिम कोई जोखिम मोल न लेने पर है | ….जबकि आप इस दुनिया में अपने प्रयासों के द्वारा बदलाब ला सकते है | हो सकता है की आप व्यवसायिक रणनीति में असफल हो जाएँ | लेकिन अगर आप खतरा मोल नही लेंगे तो आपके सफल होने की संभावना ही नही रहेगी |

मैंने अपने अनुभवों से जाना की , वास्तव में उधमिता ढेर सारी संभावनाओं से भरा हुआ करियर है | जिसका कोई अंत ही नही है | – Paul Graham, venture capitalist

अगर आप लोगों को प्रेरित करना चाहते है ,तो आवाज आपके दिल से आनी चाहिए | – Phil Libin, CEO of Evernote

दरअसल सफलता का कोई शोर्टकट नही है और न ही कोई सीक्रेट है ,यह केवल थकाऊ और मुश्किल काम है | और अगर आप यह करना चाहते है तो आप कुछ भी कर सकते है | – Yancey Strickler, CEO of Kickstarter

अगर आप यह सोचते है की आपको केवल No.1 बनना है , तो यह पूरी तरह से एक सकारात्मक बात है | – Patrick Collison, CEO of Stripe

अगर आप दुनिया में बदलाब लाना चाहते है तो आपमें अधिक मेहनत के साथ-साथ धेर्य,साहस तथा पागलपन होना बेहद जरूरी है |

लगभग हर व्यक्ति गरीबी से लड़ सकता है | अगर आप उसकी हिम्मत का परिक्षण करना चाहते है ,तो उसे शक्ति दीजिये |

हर स्टार्टअप दुनिया में वास्तविक प्रदर्शन करना चाहता है | अगर आप लोगों की समस्या का समाधान करते है और ऐसा प्रोडक्ट बनाते है जो लोगों के जीवन को आसान और बेहतर बनाने में सहायक हो ,तो याद रखिये आप बहुत जल्दी दुनिया भर में छा जाएंगे |

मेरे हिसाब से एक कंपनी को सफल होने तथा मार्केट में No.1 बने रहने के लिए दीर्घकालिक द्रष्टि की आवश्यकता होती है | जो उस व्यवसाय के प्रति भविष्य में अवसर देख सके |

धन को बर्बाद करके आप सिर्फ निर्धन होते है ,लेकिन समय को बर्बाद करने पर आप जीवन का एक अमूल्य हिस्सा गँवा देते है |

विफलता का मौसम सफलता के बीज बोने का सर्वश्रेष्ठ समय है |

जीवन में दो विकल्प है –स्थितियों को उसी रूप में स्वीकार करें ले जैसी की वे है , या फिर उसे बदलने का प्रयास करें |

लोगों के साथ सामंजस्य बैठा पाना ,सफलता का अहम सूत्र है |

“ Xiaomi “ की प्राथमिकता न ही अधिक पैसे कमाना है और न ही मार्केट में अपना हिस्सा बनाना है | हमारी प्राथमिकता है लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के साथ साथ ऐसे प्रोडक्ट निर्मित करना जिसे लोग दिल से प्यार करें | – Noah Kagan, founder of App Sumo

और अंततः आपको अपने सुनहरे भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामानाऐ…………Good Luck

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काश ये 20 बातें मुझे पहले पता होतीं

23:06 Nayisooch 0 Comments

             काश ये 20 बातें मुझे पहले पता होतीं

लियो बबौटा ग्वाम में रहते हैं और एक बहुत उपयोगी ब्लॉग ज़ेन हैबिट्स के ब्लौगर हैं। यह उनकी एक अच्छी और उपयोगी पोस्ट का अनुवाद है:

अनुवादक : मेरे एक मित्र ने मुझसे कहा कि लियो की बताई हुई बातों में कुछ नया नहीं है और हमारे यहाँ के कई लोग जैसे शिव खेडा आदि ने भी ऐसी ही प्रेरक और ज्ञानवर्धक बातें लिखी-कही है। मैं अपने मित्र से 100% सहमत हूँ लेकिन लियो जो कुछ भी कहते या लिखते हैं वह उनके अपने अनुभव पर जांचा-परखा है. आर्थिक और पारिवारिक मोर्चे पर चोट खाया हुआ व्यक्ति जो कुछ कहता है उसमें उसका अपना गहरा अनुभव होता है. वैसे भी हम भारतवासी यह मानते हैं कि ज्ञान जहाँ से भी और जिससे भी मिले ले लेना चाहिए. इसलिए लियो की बातें अर्थ रखती हैं.

Thinking about the Future
मैं लगभग 35 साल का हो गया हूँ और उतनी गलतियाँ कर चुका हूँ जितनी मुझे अब तक कर लेनी चाहिए थीं। पछतावे में मेरा यकीन नहीं है… और अपनी हर गलती से मैंने बड़ी सीख ली है… और मेरी ज़िंदगी बहुत बेहतर है।
लेकिन मुझे यह लगता है कि ऐसी बहुत सारी बातें हैं जो मैं यदि उस समय जानता जब मैं युवावस्था में कदम रख रहा था तो मेरी ज़िंदगी कुछ और होती।

वाकई? मैं यकीन से कुछ नहीं कह सकता। मैं क़र्ज़ के पहाड़ के नीचे नहीं दबा होता लेकिन इसके बिना मुझे इससे बाहर निकलने के रास्ते की जानकारी भी न हुई होती। मैंने बेहतर कैरियर अपनाया होता लेकिन मुझे वह अनुभव नहीं मिला होता जिसने मुझे ब्लौगर और लेखक बनाया।

मैंने शादी नहीं की होती, ताकि मेरा तलाक भी न होता… लेकिन यह न होता तो मुझे पहली शादी से हुए दो प्यारे-प्यारे बच्चे भी नहीं मिले होते।

मुझे नहीं लगता कि मैं अपने साथ हुई ये सारी चीज़ें बदल सकता था। पीछे मुड़कर देखता हूँ तो पाता हूँ कि मैंने ऐसे सबक सीखे हैं जो मैं ख़ुद को तब बताना चाहता जब मैं 18 साल का था। क्या अब वो सबक दुहराकर मैं थोड़ा सा पछता लूँ? नहीं। मैं उन्हें यहाँ इसलिए बाँट रहा हूँ ताकि हाल ही में अपना होश संभालनेवाले युवा लड़के और लड़कियां मेरी गलतियों से कुछ सबक ले सकें।

ये मेरी गलतियों की कोई परिपूर्ण सूची नहीं है लेकिन मैं यह उम्मीद करता हूँ कि कुछ लोगों को इससे ज़रूर थोड़ी मदद मिलेगी।

1. खर्च करने पर नियंत्रण – यूँ ही पैसा उड़ा देने की आदत ने मुझे बड़े आर्थिक संकट में डाला। मैं ऐसे कपड़े खरीदता था जिनकी मुझे ज़रूरत नहीं थी। ऐसे गैजेट खरीद लेता था जिन्हें सिर्फ़ अपने पास रखना चाहता था। ऑनलाइन खरीददारी करता था क्योंकि ये बहुत आसान है। अपनी बड़ी स्पोर्ट्स यूटिलिटी वेहिकल मैंने सिर्फ़ औरतों को आकर्षित और प्रभावित करने के चक्कर में खरीद ली। मुझे अब ऐसे किसी भी चीज़ पर गर्व नहीं होता। मैंने आदतन पैसा खर्च करने के स्वभाव पर काबू पा लिया है। अब कुछ भी खरीदने से पहले मैं थोड़ा समय लगाता हूँ। मैं यह देखता हूँ कि क्या मेरे पास उसे खरीदने के लिए पैसे हैं, या मुझे उसकी वाकई ज़रूरत है या नहीं। 15 साल पहले मुझे इसका बहुत लाभ मिला होता।

2. सक्रिय–गतिमान जीवन – जब मैं हाईस्कूल में था तब भागदौड़ और बास्केटबाल में भाग लेता था। कॉलेज पहुँचने के बाद मेरा खेलकूद धीरे-धीरे कम होने लगा। यूँ तो मैं चलते-फिरते बास्केटबाल हाईस्कूल के बाद भी खेलता रहा पर वह भी एक दिन बंद हो गया और ज़िंदगी से सारी गतिशीलता चली गयी। बच्चों के साथ बहार खेलने में ही मेरी साँस फूलने लगी। मैं मोटा होने लगा। अब मैंने बहुत दौड़भाग शुरू कर दी है पर बैठे-बैठे सालों में जमा की हुई चर्बी को हटाने में थोड़ा वक़्त लगेगा।

3. आर्थिक नियोजन करना – मैं हमेशा से यह जानता था कि हमें अपने बजट और खर्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए। इसके बावजूद मैंने इस मामले में हमेशा आलस किया। मुझे यह ठीक से पता भी नहीं था कि इसे कैसे करते हैं। अब मैंने इसे सीख लिया है और इसपर कायम रहता हूँ। हां, कभी-कभी मैं रास्ते से थोड़ा भटक भी जाता हूँ पर दोबारा रास्ते पर आना भी मैंने सीख लिया है। ये सब आप किसी किताब से पढ़कर नहीं सीख सकते। इसे व्यवहार से ही जाना जा सकता है। अब मैं यह उम्मीद करता हूँ कि अपने बच्चों को मैं यह सब सिखा पाऊँगा।

4. जंकफ़ूड पेट पर भारी पड़ेगा – सिर्फ़ ठहरी हुई लाइफस्टाइल के कारण ही मैं मोटा नहीं हुआ। बाहर के तले हुए भोजन ने भी इसमें काफी योगदान दिया। हर कभी मैं बाहर पिज्जा, बर्गर, और इसी तरह की दूसरी चर्बीदार तली हुई चीज़ें खा लिया करता था। मैंने यह कभी नहीं सोचा कि इन चीज़ों से कोई समस्या हो सकती है। अपने स्वास्थ्य के बारे में तो हम तभी सोचना शुरू करते हैं जब हम कुछ प्रौढ़ होने लगते हैं। एक समय मेरी जींस बहुत टाइट होने लगी और कमर का नाप कई इंच बढ़ गया। उस दौरान पेट पर चढी चर्बी अभी भी पूरी तरह से नहीं निकली है। काश किसी ने मुझे उस समय ‘आज’ की तस्वीर दिखाई होती जब मैं जवाँ था और एक साँस में सोडे की बोतल ख़त्म कर दिया करता था।

5. धूम्रपान सिर्फ़ बेवकूफी है – धूम्रपान की शुरुआत मैंने कुछ बड़े होने के बाद ही की। क्यों की, यह बताना ज़रूरी नहीं है लेकिन मुझे हमेशा यह लगता था कि मैं इसे जब चाहे तब छोड़ सकता हूँ। ऐसा मुझे कई सालों तक लगता रहा जब एक दिन मैंने छोड़ने की कोशिश की लेकिन छोड़ नहीं पाया। पाँच असफल कोशिशों के बाद मुझे यह लगने लगा कि मेरी लत वाकई बहुत ताकतवर थी। आखिरकार 18 नवम्बर 2005 को मैंने धूम्रपान करना पूरी तरह बंद कर दिया लेकिन इसने मेरा कितना कुछ मुझसे छीन लिया।

6. रिटायरमेंट की तैयारी – यह बात और इससे पहले बताई गयी बातें बहुत आम प्रतीत होती हैं। आप यह न सोचें कि मुझे इस बात का पता उस समय नहीं था जब मैं 18 साल का था। मैं इसे बखूबी जानता था लेकिन मैंने इसके बारे में कभी नहीं सोचा। जब तक मैं 30 की उम्र पार नहीं कर गया तब तक मैंने रिटायर्मेंट प्लानिंग के बारे में कोई चिंता नहीं की। अब मेरा मन करता है कि उस 18 वर्षीय लियो को इस बात के लिए एक चांटा जड़ दिया जाए। खैर। अब तक तो मैं काफी पैसा जमा कर चुका होता! मैंने भी रिटायर्मेंट प्लान बनाया था लेकिन मैंने तीन बार जॉब्स बदले और अपना जमा किया पैसा यूँही उड़ा दिया।

7. जो कुछ भी आपको कठिन लगता है वह आपके काम का होता है – यह ऐसी बात है जो ज्यादा काम की नहीं लगती। एक समय था जब मुझे काम मुश्किल लगता था। मैंने काम किया ज़रूर, लेकिन बेमन किया। अगर काम न करने की छूट होती तो मैं नहीं करता। परिश्रम ने मुझे बहुत तनाव में डाला। मैं कभी भी परिश्रम नहीं करना चाहता था। लेकिन मुझे मिलने वाला सबक यह है कि जितना भी परिश्रम मैंने अनजाने में किया उसने मुझे सदैव दूर तक लाभ पहुँचाया। आज भी मैं उन तनाव के दिनों में कठोर परिश्रम करते समय सीखे हुए हुनर और आदतों की कमाई खा रहा हूँ। उनके कारण मैं आज वह बन पाया हूँ जो मैं आज हूँ। इसके लिए मैं युवक लियो का हमेशा अहसानमंद रहूँगा।

8. बिना जांचे–परखे कोई पुराना सामान नहीं खरीदें – मैंने एक पुरानी वैन खरीदी थी। मुझे यह लग रहा था की मैं बहुत स्मार्ट था और मैंने उसे ठीक से जांचा-परखा नहीं। उस खटारा वैन के इंजन में अपार समस्याएँ थीं। उसका एक दरवाजा तो चलते समय ही गिर गया। खींचते समय दरवाजे का हैंडल टूट गया। कांच भी कहीं टपक गया। टायर बिगड़ते गए, खिड़कियाँ जाम पडी थीं, और एक दिन रेडियेटर भी फट गया। अभी भी मैं ढेरों समस्याएँ गिना सकता हूँ। वह मेरे द्वारा ख़रीदी गयी सबसे घटिया चीज़ थी। यह तो मैं अभी भी मानता हूँ की पुरानी चीज़ों को खरीदने में समझदारी है लेकिन उन्हें देख-परख के ही खरीदना चाहिए।

9. बेचने से पहले ही सारी बातें तय कर लेने में ही भलाई है – अपने दोस्त के दोस्त को मैंने अपनी एक कार बेची। मुझे यकीन था कि बगैर लिखा-पढी के ही वह मुझे मेरी माँगी हुई उचित कीमत अदा कर देगा। यह मेरी बेवकूफी थी। अभी भी मुझे वह आदमी कभी-कभी सड़क पर दिख जाता है लेकिन अब मुझमें इतनी ताक़त नहीं है कि मैं अपना पैसा निकलवाने के लिए उसका पीछा करूँ।

10. कितनी भी व्यस्तता क्यों न हो, अपना शौक पूरा करो – मैं हमेशा से ही लेखक बनना चाहता था। मैं चाहता था कि एक दिन लोग मेरी लिखी किताबें पढ़ें लेकिन मेरे पास लिखने का समय ही नहीं था। पूर्ण-कालिक नौकरी और पारिवारिक जिम्मेदारियां होने के कारण मुझे लिखने का वक़्त नहीं मिल पाता था। अब मैं यह जान गया हूँ कि वक़्त तो निकालना पड़ता है। दूसरी चीज़ों से ख़ुद को थोड़ा सा काटकर इतना समय तो निकला ही जा सकता है जिसमें हम वो कर सकें जो हमारा दिल करना चाहता है। मैंने अपनी ख्वाहिश के आड़े में बहुत सी चीज़ों को आने दिया। यह बात मैंने 15 साल पहले जान ली होती तो आजतक मैं 15 किताबें लिख चुका होता। सारी किताबें तो शानदार नहीं होतीं लेकिन कुछेक तो होतीं!

11. जिसकी खातिर इतना तनाव उठा रहे हैं वो बात हमेशा नहीं रहेगी – जब हमारा बुरा वक़्त चल रहा होता है तब हमें पूरी दुनिया बुरी लगती है। मुझे समयसीमा में काम करने होते थे, कई प्रोजेक्ट एक साथ चल रहे थे, लोग मेरे सर पर सवार रहते थे और मेरे तनाव का स्तर खतरे के निशान के पार जा चुका था। मुझे मेहनत करने का कोई पछतावा नहीं है (जैसा मैंने ऊपर कहा) लेकिन यदि मुझे इस बात का पता होता कि इतनी जद्दोजहद और माथापच्ची 15 साल तो क्या अगले 5 साल बाद बेमानी हो जायेगी तो मैं अपने को उसमें नहीं खपाता। परिप्रेक्ष्य हमें बहुत कुछ सिखा देता है।

12. काम के दौरान बनने वाले दोस्त काम से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं – मैंने कई जगहों में काम किया और बहुत सारी चीज़ें खरीदीं और इसी प्रक्रिया में बहुत सारे दोस्त भी बनाये। काश मैं यहाँ-वहां की बातों में समय लगाने के बजाय अपने दोस्तों और परिजनों के साथ बेहतर वक़्त गुज़र पाता!

13. टीवी देखना समय की बहुत बड़ी बर्बादी है – मुझे लगता है कि साल भर में हम कई महीने टी वी देख चुके होते हैं। रियालिटी टी वी देखने में क्या तुक है जब रियालिटी हाथ से फिसली जा रही हो? खोया हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता – इसे टी वी देखने में बरबाद न करें।

14. बच्चे समय से पहले बड़े हो जायेंगे। समय नष्ट न करें – बच्चे देखते-देखते बड़े हो जाते हैं। मेरी बड़ी बेटी क्लो कुछ ही दिनों में 15 साल की हो जायेगी। तीन साल बाद वह वयस्क हो जायेगी और फ़िर मुझसे दूर चली जायेगी। तीन साल! ऐसा लगता है कि यह वक़्त तो पलक झपकते गुज़र जाएगा। मेरा मन करता हूँ कि 15 साल पहले जाकर ख़ुद को झिड़क दूँ – दफ्तर में रात-दिन लगे रहना छोडो! टी वी देखना छोडो! अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करो! – पिछले 15 साल कितनी तेजी से गुज़र गए, पता ही न चला।

15. दुनिया के दर्द बिसराकर अपनी खुशी पर ध्यान दो – मेरे काम में और निजी ज़िंदगी में मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ जब मुझे लगने लगा कि मेरी दुनिया बस ख़त्म हो गयी। जब समस्याएँ सर पे सवार हो जाती थीं तो अच्छा खासा तमाशा बन जाता था। इस सबके कारण मैं कई बार अवसाद का शिकार हुआ। वह बहुत बुरा वक़्त था। सच तो यह था कि हर समस्या मेरे भीतर थी और मैं सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर खुश रह सकता था। मैं यह सोचकर खुश हो सकता था कि मेरे पास कितना कुछ है जो औरों के पास नहीं है। अपने सारे दुःख-दर्द मैं ताक पर रख सकता था।

16. ब्लॉग्स केवल निजी पसंद–नापसंद का रोजनामचा नहीं हैं – पहली बार मैंने ब्लॉग्स 7-8 साल पहले पढ़े। पहली नज़र में मुझे उनमें कुछ ख़ास रूचि का नहीं लगा – बस कुछ लोगों के निजी विचार और उनकी पसंद-नापसंद! उनको पढ़के मुझे भला क्या मिलता!? मुझे अपनी बातों को दुनिया के साथ बांटकर क्या मिलेगा? मैं इन्टरनेट पर बहुत समय बिताता था और एक वेबसाईट से दूसरी वेबसाईट पर जाता रहता था लेकिन ब्लॉग्स से हमेशा कन्नी काट जाता था। पिछले 3-4 सालों के भीतर ही मुझे लगने लगा कि ब्लॉग्स बेहतर पढने-लिखने और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने और जानकारी बांटने का बेहतरीन माध्यम हैं। 7-8 साल पहले ही यदि मैंने ब्लॉगिंग शुरू कर दी होती तो अब तक मैं काफी लाभ उठा चुका होता।

17. याददाश्त बहुत धोखा देती है – मेरी याददाश्त बहुत कमज़ोर है। मैं न सिर्फ़ हाल की बल्कि पुरानी बातें भी भूल जाता हूँ। अपने बच्चों से जुडी बहुत सारी बातें मुझे याद नहीं हैं क्योंकि मैंने उन्हें कहीं लिखकर नहीं रखा। मुझे ख़ुद से जुडी बहुत सारी बातें याद नहीं रहतीं। ऐसा लगता है जैसे स्मृतिपटल पर एक गहरी धुंध सी छाई हुई है। यदि मैंने ज़रूरी बातों को नोट कर लेने की आदत डाली होती तो मुझे इसका बहुत लाभ मिलता।

18. शराब बुरी चीज़ है – मैं इसके विस्तार में नहीं जाऊँगा। बस इतना कहना ही काफी होगा कि मुझे कई बुरे अनुभव हुए हैं। शराब और ऐसी ही कई दूसरी चीज़ों ने मुझे बस एक बात का ज्ञान करवाया है – शराब सिर्फ़ शैतान के काम की चीज़ है।

19. आप मैराथन दौड़ने का निश्चय कभी भी कर सकते हैं – इसे अपना लक्ष्य बना लीजिये – यह बहुत बड़ा पारितोषक है। स्कूल के समय से ही मैं मैराथन दौड़ना चाहता था। यह एक बहुत बड़ा सपना था जिसे साकार करने में मैंने सालों लगा दिए। मैराथन दौड़ने पर मुझे पता चला कि यह न सिर्फ़ सम्भव था बल्कि बहुत बड़ा पारितोषक भी था। काश मैंने दौड़ने की ट्रेनिंग उस समय शुरू कर दी होती जब मैं हल्का और तंदरुस्त था, मैं तब इसे काफी कम समय में पूरा कर लेता!

20. इतना पढने के बाद भी मेरी गलतियाँ दुहराएंगे तो पछतायेंगे – 18 वर्षीय लियो ने इस पोस्ट को पढ़के यही कहा होता – “अच्छी सलाह है।” और इसके बाद वह न चाहते हुए भी वही गलतियाँ दुहराता। मैं बुरा लड़का नहीं था लेकिन मैंने किसी की सलाह कभी नहीं मानी। मैं गलतियाँ करता गया और अपने मुताबिक ज़िंदगी जीता गया। मुझे इसका अफ़सोस नहीं है। मेरा हर अनुभव (शराब का भी) मुझे मेरी ज़िंदगी की उस राह पर ले आया है जिसपर आज मैं चल रहा हूँ। मुझे अपनी ज़िंदगी से प्यार है और मैं इसे किसी के भी साथ हरगिज नहीं बदलूँगा। दर्द, तनाव, तमाशा, मेहनत, परेशानियाँ, अवसाद, हैंगओवर, क़र्ज़, मोटापा – सलाह न मानने के इन नतीजों का पात्र था मैं।

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विचारों का प्रवाह

20:09 Nayisooch 0 Comments





                            प्रत्येक व्यक्ति एक दर्पण है. सुबह से सांझ तक इस दर्पण पर धूल जमती है. जो मनुष्य इस धूल को जमते ही जाने देते हैं, वे दर्पण नहीं रह जाते. और जैसा स्वयं का दर्पण होता है, वैसा ही ज्ञान होता है. जो जिस मात्रा में दर्पण है, उस मात्रा में ही सत्य उसमें प्रतिफलित होता है.

एक साधु से किसी व्यक्ति ने कहा कि विचारों का प्रवाह उसे बहुत परेशान कर रहा है. उस साधु ने उसे निदान और चिकित्सा के लिए अपने एक मित्र साधु के पास भेजा और उससे कहा, “जाओ और उसकी समग्र जीवन-चर्या ध्यान से देखो. उससे ही तुम्हें मार्ग मिलने को है.”

वह व्यक्ति गया. जिस साधु के पास उसे भेजा गया था, वह सराय में रखवाला था. उसने वहां जाकर कुछ दिन तक उसकी चर्या देखी. लेकिन उसे उसमें कोई खास बात सीखने जैसी दिखाई नहीं पड़ी. वह साधु अत्यंत सामान्य और साधारण व्यक्ति था. उसमें कोई ज्ञान के लक्षण भी दिखाई नहीं पड़ते थे. हां, बहुत सरल था और शिशुओं जैसा निर्दोष मालूम होता था, लेकिन उसकी चर्या में तो कुछ भी न था. उस व्यक्ति ने साधु की पूरी दैनिक चर्या देखी थी, केवल रात्रि में सोने के पहले और सुबह जागने के बाद वह क्या करता था, वही भर उसे ज्ञात नहीं हुआ था. उसने उससे ही पूछा.

साधु ने कहा, “कुछ भी नहीं. रात्रि को मैं सारे बर्तन मांजता हूं और चूंकि रात्रि भर में उनमें थोड़ी बहुत धूल पुन: जम जाती है, इसलिए सुबह उन्हें फिर धोता हूं. बरतन गंदे और धूल भरे न हों, यह ध्यान रखना आवश्यक है. मैं इस सराय का रखवाला जो हूं.”
                वह व्यक्ति इस साधु के पास से अत्यंत निराश हो अपने गुरु के पास लौटा. उसने साधु की दैनिक चर्या और उससे हुई बातचीत गुरु को बताई.

उसके गुरु ने कहा, “जो जानने योग्य था, वह तुम सुन और देख आये हो. लेकिन समझ नहीं सके. रात्रि तुम भी अपने मन को मांजो और सुबह उसे पुन: धो डालो. धीरे-धीरे चित्त निर्मल हो जाएगा. सराय के रखवाले को इस सबका ध्यान रखना बहुत आवश्यक है.”

चित्त की नित्य सफाई अत्यंत आवश्यक है. उसके स्वच्छ होने पर ही समग्र जीवन की स्वच्छता या अस्वच्छता निर्भर है. जो उसे विस्मरण कर देते हैं, वे अपने हाथों अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हैं.
                                  प्रस्तुति – ओशो
                           

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कॉलेज की शिक्षा

19:40 Nayisooch 0 Comments

                     कॉलेज की शिक्षा




कॉलेज की शिक्षा व्यक्ति की व्यवहार-कुशलता तथा योग्यता में वृद्धि करने के साथ साथ | यह कर्मचारी के हाथ में औजार पकड़ा देती है ,पर उन औजारों का प्रयोग करना व्यक्ति को स्वयं ही सीखना पडता है |कितनी कुशलता से वह उन औजारों का उपयोग करता है , यह स्वयं उस पर आश्रित है | संघर्ष करते हुए बार –बार पड़ने वाली चोटों से ही चरित्र का निर्माण होता है और उन्ही के द्वारा मनुष्य के अंदर सफलता प्राप्त करने की योग्यता आती हैं |

आज हम हेनरी वार्ड बीचर के जीवन के एक महत्वपूर्ण सबक से रूबरू होने जा रहे है हेनरी वार्ड बीचर ने कहा की जीवन में आत्मविश्वास बेहद जरूरी है | उन्होंने कहा की यह आपको विजेता बनाने में काफी मददगार साबित हो सकता है क्यूंकि बिना आत्मविश्वास के आप अपनी सफलता का पहला कदम ही नहीं बड़ा सकते | और जब आप सफलता का पहला चरण ही पार नही करेंगे तो आगे की बात कर ही नही सकते | हेनरी वार्ड बीचर अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण कहानी सुनाया करते थे |

हेनरी वार्ड बीचर बताते है की जब वह बालक थे तब किस प्रकार उसे अपने भरोसे खड़ा होने की शिक्षा दी गयी थी –

“मुझे श्यामपट्ट  की ओर भेजा जाता था | मेरे मन मै संदेह होता था ,शंका होता थी | अध्यापक शांत स्वर मै कहते थे –‘पाठ अवश्य पढ़ना और स्मरण भी करना |’ अध्यापक के स्वर मै भयंकर तीव्रता होती थी एक दिन उन्होंने कहा की  –‘ब्लेक बोर्ड पर सवाल हल करो , मै सवाल देखना चाहता हूँ ,बहाने नहीं सुनना चाहता |’ मै कहता था – ‘जी मैंने केवल दो घंटे पढ़ा था |’

तब अध्यापक कहते –‘मैं कुछ नहीं जानता , तुम चाहे एक मिनट भी मत पढ़ो , इससे मुझे क्या ,तुम्हे सिर्फ पाठ याद होना चाहिए | बस मै यही चाहता हूँ |’ यधपि अध्यापक का यह व्यवहार एक कोमल बालक के लिए कठिन था, परन्तु इससे मै सीधे रास्ते पर आ गया | एक महीने से भी कम समय मै ही मेरे अंदर तीव्र बौद्धिक स्वतंत्रता, साहस और आत्मनिर्भरता की भावना भर गयी | एक दिन मुझे अध्यापक ने श्यामपट्ट पर एक नया सवाल हल करने के लिए कहा | मैंने सवाल निकाला | अध्यापक ने कठोर आवाज मैं कहा – ‘नहीं ,यह गलत हैं |’ इसके बाद उन्होंने एक – दूसरे छात्र को वही सवाल हल करने के लिए कहा | उसने सवाल हल किया | उसका तरीका भी वही था जो मेरा था और उसका जवाब भी वही था जो मेरा था | अध्यापक ने कहा –‘ठीक है , शाबाश….| अब मुझसे न रहा गया | मैंने कहा – ‘जी, यह तो बिल्कुल उसी ढंग से हल किया गया है और मेरा जबाब भी जवाब वही है, फिर मेरा सवाल गलत क्यों ?

अध्यापक ने कहा –‘तुमने उस समय क्यों नहीं कहा की मेरा सवाल बिल्कुल सही है | केवल अपने पाठ को जानना ही आवश्यक नहीं ,तुम्हे यह विश्वास भी होना चाहिए की तुम्हे पाठ याद है और ठीक–ठीक याद है | यदि तुममे आत्मविश्वास होता ,तो तुम कभी भी चुपचाप अपनी जगह जाकर न बैठ जाते | यह तुम्हारा काम है कि अपनी सही बात को सही कहो और उसे सिद्ध करके दिखाओ ‘|

अध्यापक अपने छात्र का अधिक से अधिक यही हित कर सकता है कि वह उसे आत्म-निर्भर बनाये, उसे अपने आप पर भरोसा करना सिखलाए ,उसे अहसास करा दे कि उसके अंदर कौन -कौन सी शक्ति है | यदि छात्र आत्मनिर्भरता का अभ्यास नहीं करता तो बड़ा होकर वह दुर्बल, पिछड़ा हुआ ,पिछलग्गू और असफल होगा | मनुष्य को जिन बातो का मिथ्या भ्रम होता है ,उनमे से एक यह भी है कि व्यक्ति को दूसरों कि सहायता से सदा लाभ ही होता है |

इसलिए याद रखिये जीवन मैं आत्मविश्वास बेहद जरूरी है चाहे आप विद्यार्थी हो या एक Professional या एक व्यवसायी आपको जीवन के हर क्षेत्र मैं सफल होने के लिए आत्मविश्वास की आवश्यकता पड़ेगी बिना आत्मविश्वास के आप जीवन मैं कुछ भी कर पाने मैं सक्षम नही होंगे |

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