कॉलेज की शिक्षा
कॉलेज की शिक्षा
कॉलेज की शिक्षा व्यक्ति की व्यवहार-कुशलता तथा योग्यता में वृद्धि करने के साथ साथ | यह कर्मचारी के हाथ में औजार पकड़ा देती है ,पर उन औजारों का प्रयोग करना व्यक्ति को स्वयं ही सीखना पडता है |कितनी कुशलता से वह उन औजारों का उपयोग करता है , यह स्वयं उस पर आश्रित है | संघर्ष करते हुए बार –बार पड़ने वाली चोटों से ही चरित्र का निर्माण होता है और उन्ही के द्वारा मनुष्य के अंदर सफलता प्राप्त करने की योग्यता आती हैं |
आज हम हेनरी वार्ड बीचर के जीवन के एक महत्वपूर्ण सबक से रूबरू होने जा रहे है हेनरी वार्ड बीचर ने कहा की जीवन में आत्मविश्वास बेहद जरूरी है | उन्होंने कहा की यह आपको विजेता बनाने में काफी मददगार साबित हो सकता है क्यूंकि बिना आत्मविश्वास के आप अपनी सफलता का पहला कदम ही नहीं बड़ा सकते | और जब आप सफलता का पहला चरण ही पार नही करेंगे तो आगे की बात कर ही नही सकते | हेनरी वार्ड बीचर अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण कहानी सुनाया करते थे |
हेनरी वार्ड बीचर बताते है की जब वह बालक थे तब किस प्रकार उसे अपने भरोसे खड़ा होने की शिक्षा दी गयी थी –
“मुझे श्यामपट्ट की ओर भेजा जाता था | मेरे मन मै संदेह होता था ,शंका होता थी | अध्यापक शांत स्वर मै कहते थे –‘पाठ अवश्य पढ़ना और स्मरण भी करना |’ अध्यापक के स्वर मै भयंकर तीव्रता होती थी एक दिन उन्होंने कहा की –‘ब्लेक बोर्ड पर सवाल हल करो , मै सवाल देखना चाहता हूँ ,बहाने नहीं सुनना चाहता |’ मै कहता था – ‘जी मैंने केवल दो घंटे पढ़ा था |’
तब अध्यापक कहते –‘मैं कुछ नहीं जानता , तुम चाहे एक मिनट भी मत पढ़ो , इससे मुझे क्या ,तुम्हे सिर्फ पाठ याद होना चाहिए | बस मै यही चाहता हूँ |’ यधपि अध्यापक का यह व्यवहार एक कोमल बालक के लिए कठिन था, परन्तु इससे मै सीधे रास्ते पर आ गया | एक महीने से भी कम समय मै ही मेरे अंदर तीव्र बौद्धिक स्वतंत्रता, साहस और आत्मनिर्भरता की भावना भर गयी | एक दिन मुझे अध्यापक ने श्यामपट्ट पर एक नया सवाल हल करने के लिए कहा | मैंने सवाल निकाला | अध्यापक ने कठोर आवाज मैं कहा – ‘नहीं ,यह गलत हैं |’ इसके बाद उन्होंने एक – दूसरे छात्र को वही सवाल हल करने के लिए कहा | उसने सवाल हल किया | उसका तरीका भी वही था जो मेरा था और उसका जवाब भी वही था जो मेरा था | अध्यापक ने कहा –‘ठीक है , शाबाश….| अब मुझसे न रहा गया | मैंने कहा – ‘जी, यह तो बिल्कुल उसी ढंग से हल किया गया है और मेरा जबाब भी जवाब वही है, फिर मेरा सवाल गलत क्यों ?
अध्यापक ने कहा –‘तुमने उस समय क्यों नहीं कहा की मेरा सवाल बिल्कुल सही है | केवल अपने पाठ को जानना ही आवश्यक नहीं ,तुम्हे यह विश्वास भी होना चाहिए की तुम्हे पाठ याद है और ठीक–ठीक याद है | यदि तुममे आत्मविश्वास होता ,तो तुम कभी भी चुपचाप अपनी जगह जाकर न बैठ जाते | यह तुम्हारा काम है कि अपनी सही बात को सही कहो और उसे सिद्ध करके दिखाओ ‘|
अध्यापक अपने छात्र का अधिक से अधिक यही हित कर सकता है कि वह उसे आत्म-निर्भर बनाये, उसे अपने आप पर भरोसा करना सिखलाए ,उसे अहसास करा दे कि उसके अंदर कौन -कौन सी शक्ति है | यदि छात्र आत्मनिर्भरता का अभ्यास नहीं करता तो बड़ा होकर वह दुर्बल, पिछड़ा हुआ ,पिछलग्गू और असफल होगा | मनुष्य को जिन बातो का मिथ्या भ्रम होता है ,उनमे से एक यह भी है कि व्यक्ति को दूसरों कि सहायता से सदा लाभ ही होता है |
इसलिए याद रखिये जीवन मैं आत्मविश्वास बेहद जरूरी है चाहे आप विद्यार्थी हो या एक Professional या एक व्यवसायी आपको जीवन के हर क्षेत्र मैं सफल होने के लिए आत्मविश्वास की आवश्यकता पड़ेगी बिना आत्मविश्वास के आप जीवन मैं कुछ भी कर पाने मैं सक्षम नही होंगे |
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