कैसे रोकें अपनी तुलना दूसरों से करने की आदत

19:52 Nayisooch 0 Comments


 अक्सर हम सब में एक सबसे खतरनाक आदत होती है - दूसरों से अपनी तुलना करने की। हम अपनी  गाड़ियाँ, घर, नौकरियां, पैसा, सामाजिक प्रतिष्ठा और कई चीजें दूसरों से तुलना करते रहते हैं, और फिर अंत में हम अपने अंदर सिर्फ ढेर सारी नकारात्मक ऊर्जा और भावनाएं भर लेते हैं, जिनका बहुत बुरा असर हमारी जिंदगी पर पड़ने लगता है।     





अब सवाल ये उठता है की क्या हम ऐसा करना बंद कर सकते हैं? या फिर कम से कम ऐसा करना कम कर सकते हैं ? जी हाँ ऐसे संभव है!! ऐसे 7  अद्भुत तरीके जिनसे मुझे मदद मिली है आपके साथ बाँट रहा हूँ : 

1. दूसरों के प्रति दयालु बने :
आप दूसरों के प्रति जैसा सोचते और व्यव्हार करते हैं उसका एक बहुत बड़ा प्रभाव इस बात पर भी पड़ता है की की आप आपने बारे में कैसा सोचते या  व् व्यव्हार करते हैं।  

दूसरों को आप जितना जज करेंगे उससे कहीं ज्यादा ज्यादा आप अपने आप को जज करेंगे; ठीक इसी तरह जितना ज्यादा दयालुता आप दूसरों के प्रति दिखाएंगे उतना ही दयालु और मददगार आप अपने लिए साबित होंगे।  जितना ज्यादा आप दूसरों से प्रेम करेंगे उससे कहीं ज्यादा आप अपने आप से प्रेम करने लगेंगे. 
इसलिए जहाँ तक हो सके लोगों की मदद करने और उनके प्रति दयालु बनाने पर ध्यान केन्द्रि करें।  ऐसा करने से आप दूसरों को जज करना बंद कर देंगे और अंतता अपने आप को भी जज करना बंद कर देंगे और उसके बदले आप अपने अंदर और आस पास के लोगों  की अच्छाईयों पर फोकस करने लगेंगे।  


2. अपनी तुलना खुद से करें :
अपने आपको दूसरों से तुलना करने की वजाय अपनी तुलना खुद से करने की आदत डालें। ये देखें की आपकी कितनी वृद्धि हुयी है। ये भी तय करें की अपने लक्ष्य तक पहुँचने में आपने कितनी प्रगति की है और किन किन परेशानियों का सामने करके सफलता अर्जित की है। 

इस आदत से आप अपनी ताकतों को पहचान पाएंगे, आप ये भी देख पाएंगे कि किस तरह आपने अपनी तरफ आने वाली चुनौतियों का डट कर मुकाबला किया और उनपर विजय प्राप्त की। अपने आप को प्रगति के राह पर देख आप खुद के बारे में गर्वान्वित महसूर करेंगे और अपने आप को सराहेंगे, अपने आप के प्रति दलालु भी बनेंगे। इस तरह आप दूसरों की फ़िक्र किये बिना अपने आप के बारे में अच्छा महसूस करेंगे और अपने आपको बेहतर बनाने में प्रयासरत रहेंगे ।  
3. सोशल मीडिया से दूर रहें :
सोशल मीडिया जैसे फेसबुक या ट्विटर पर लोग अपनी छोटी से छोटी उपलब्धियों को भी बढ़ा चढ़ा कर अपडेट करते रहते हैं या यात्राओं या सैर सपाटे की तस्वीरों को शेयर करते हैं, आपने गौर किया होगा कि आपके किसी मित्र या रिश्तेदार ने अमेरिका, इंग्लैंड और किसी अन्य देशों की लुभावनी तस्वीरें शेयर की हैं, ऐसे अपडेट या ऐसी तस्वीरें आपके अंदर हीन भावना को जन्म देने लगती हैं, दूसरों की बुलंदिओं को देखकर आप भी जल्द से जल्द वैसी ही ऊँचाईयाँ छूने के लिए बेकरार होने लगते हैं और हासिल न होने पर नकारात्मक विचारों और हीन भावनाओँ से ग्रसित होने लगते हैं। इसलिए जहाँ तक हो सके सोशल मीडिया से दूर ही रहें।  
4. इंटरनेट या सोशल मीडिया का इस्तेमाल साकारात्मक तरीके से करें : 
इंटरनेट पर ऐसे तरीकों को खोजें जो आपकी जिंदगी में साकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। आप एजुकेशनल, प्रेरक, या अपने फ़ील्ड्स से जुडी जानकारियाँ देने वाली वेबसाइटस को फॉलो कर सकते हैं। अगर आप सफलता अर्जित करना चाहते हैं तो सफलता हासिल करने में मदद करने वाली वेबसाइटों को फॉलो कर सकते हैं, अगर आप अपने सेहत को बढ़ाना चाहते हैं तो सेहत की जानकारियाँ देने वाली अच्छी वेबस्इटों को फॉलो कर सकते हैं या फिर यदि आप अपने दिमाग या व्यक्तित्व को बेहतर बनाना चाहते हों तो ऐसी वेबस्इटों को फॉलो करके अपने जीवन में  इंटरनेट का सकारात्मक इस्तेमाल कर सकते हैं। 
5. कुछ नया शौक पालें या कुछ नया सीखें : 
अपनी तुलना दूसरों से करने की वजाय आप अपना कीमती समय कुछ ऐसा सीखने में लगाएं जिसे करने में आपको ख़ुशी महसूस हो। ऐसा करने से आप व्यस्त भी रहेंगे और आपने आप में बदलाव भी महसूस करेंगे।  

और हाँ, याद रखें की आप जो भी सीखने के लिए चुनते हैं वो इसलिए चुने की इससे आपको ख़ुशी मिलती है  न की इसलिए की आप अपने बारे में अच्छा महसूस नहीं करते हैं।   

6. हमेशा याद रखें कि सफल लोग भी हम जैसे साधारण लोग ही होते हैं :
जब भी हम अपने आस पास के किसी सफल व्यक्ति का आँख बंद कर उनका अनुशरण करने लगते हैं या रोल मॉडल बना लेते हैं और उन्ही की तरह बनने की कोशिश में थोड़ा भी असफल होते हैं तो हम धीरे -धीरे ये सोचने लगते हैं कि हम उनके जैसा कभी नहीं बन पाएंगे क्यूंकि ऐसे लोग हमसे अलग होते हैं और हमसे श्रेष्ट होते हैं। इसलिए इस बात को ध्यान में रखना जरुरी हो जाता है कोई कितनी भी ऊँचाईयाँ क्यों न छू ले है तो हमारी तरह मनुष्य ही। इसलिए हमें सिर्फ लोगों की अच्छाईयों को ही अपनाना चाहिए और लोगों का आँख बंद करके अनुशरण करने से बचना चाहिए।   
7. याद रखें टॉप पोजीशन पर हमेशा जगह खाली होती है : 
ये हमेशा ध्यान में रखना चाहिए की आप कितना भी अच्छा क्यों न कर रहें हो कोई और भी आपसे बेहतर हो सकता है जो आपसे ज्यादा मेहनत और लगन से काम में लगा हुआ है। 

इसमें कोई शक नहीं है की जैसे ही आपके पास आपके पड़ोसियों से अच्छी चीज जैसे गाड़ी या घर आता है आपको अच्छा महसूस होता होगा लेकिन जैसे ही आप किसी और के पास आपसे अच्छी गाड़ी या घर को देख लेते हैं आपकी सारी खुशियां गम में बदल जाती है।

इसलिए ये हमेशा ध्यान में रखें की टॉप पोजीशन हमेशा खाली होता है, तथा वहां बरक़रार रहने के लिए और भी मेहनत करनी है।  

माइकलएंजेलो ने कहा था की हर पत्थर के टुकड़े में एक मूरत छिपी होती है और ये मूर्ति बनाने वाले का काम है की उसकी खोज करे और उसे तराशे।  आईये आपने अंदर की सुन्दर मूरत को तराशें और अपने आप को बेहतर बनायें।

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कैसे भूलें अपनी गलतियों को : स्वयं को माफ़ करने के 5 तरीके

19:45 Nayisooch 0 Comments

        कैसे भूलें अपनी गलतियों को : स्वयं को माफ़ करने के 5 तरीके

कभी कभी हम कुछ ऐसा कर बैठते है या बोल देते हैं जिसके लिए हमें बाद में बेहद पश्चाताप होता है। अगर आपके साथ भी हाल में ही कुछ ऐसा हुआ है तो आपको ये सब भूलने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही होगी, खासकर तब जब आपने किसी अपने का दिल दुखाया हो।
कुछ महीने पहले की बात है, मेरी एक मित्र से अनबन हो गयी। हर गलतफहमियों की तरह ये भी तेजी से और अचानक हुआ।
बात ये थी की मेरा दोस्त मुझे एक नेटवर्किंग बिज़नेस में ज्वाइन करने के लिए मना रहा था,  जिसके लिए मैंने उसे नम्रतापूर्वक कई बार मना करने का प्रयास किया था।  ये सिलसिला कयी दिनों तक चलता रहा लेकिन फिर भी मैं ये सहता रहा, और फिर मेरा दोस्त मेरे दोस्त जैसा कम और सेल्समेन जैसा ज्यादा व्यवहार करने लगा।
और फिर इसी बीच उसने कुछ ऐसी टिप्पणी कर दी जिसे मैं अपना अपमान समझ बैठा और मेरे धैर्य का बांध टूट गया।  मैं तुरंत गुस्से में उसे खरी खोटी सुनाकर उस जगह से हट गया।  उस समय तो  मुझे लगा की मैंने सही किया लेकिन बाद में मुझे अहसास हुआ कि मैं उसके कहने के मतलब को गलत समझ बैठा और जल्दबाजी में निर्णय ले बैठा।
हालाँकि बाद में अपनी गलती के लिए मैंने उससे माफ़ी मांग ली लेकिन फिर भी मुझे ये अहसास था की ये एक बड़ी गलती थी और इससे हमारी दोस्ती टूट भी सकती थी और रहीम कवि का ये दोहा बार बार स्मरण में आ जाता था :
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय,
टूटे से फिर  ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाय।   ,
इस घटना से मैंने ये सीखा की अपने आप को और अपनी गलतियों को माफ़ करने में कुछ बातें बेहद सहायक होती हैं, इन्ही बातों को आपसे साझा कर रहा हूँ :
1. दूसरों को दोष देना बंद करें :
अपने आप को माफ़ करने से पहले ये जान लेना जरुरी है कि आखिर आपने किया क्या था। आपके साथ हुयी घटना को विस्तार से लिख लें और अपने उन बातों  को भी लिखें जिससे उस घटना के घटने में मदद मिली हो। किसी और व्यक्ति या परिस्थितियों को दोष देने से बचें और सिर्फ अपने आप पर ध्यान केंद्रित करें। हो सकता है ऐसे करते समय आप असहज महसूस करें।
मेरी परिस्थिति में मैं सिर्फ अपने दोस्त के आक्रामक व्यवहार को ही देख पाया और अपनी प्रतिक्रिया को सही ठहराया, लेकिन सारी घटना को विस्तार से लिखने और एनालाइज करके सिर्फ अपने कर्मो पर ध्यान देकर मुझे महसूस हुआ की मैंने उसकी बातों का गलत अर्थ निकल कर निर्णय लिया।
2. माफ़ी मांगने में संकोच न करें :
कुछ इस तरह हमने अपनी जिंदगी आसान कर ली ,
कुछ को माफ़ कर दिया और कुछ से माफ़ी  मांग ली।
हालाँकि माफ़ी मांगना इतना आसान नहीं होता लेकिन अगर आप किसी से माफ़ी मांगने के लिए पहल करते हैं तो ये दर्शाता है कि आपसे गलती हुयी थी और आप उसके लिए शर्मिन्दा हैं, और इस तरह आप वैसी गलतियों को दोहराने से बच जाते हैं।  
3. नाकारात्मक विचारों को उत्पन्न होते ही त्याग दें: 
कभी कभी माफ़ किये जाने पर भी हम अपने आप को माफ़ नहीं कर पाते। हालाँकि मेरी मेरे मित्र से सुलह हो गयी थी लेकिन फिर में मुझे अपने अपनी गलतियों पर समय समय पर पछतावा होता रहता था, बाद में धीरे धीरे मुझे ये समझ में आ गया की स्वयं को माफ़ करना एक बार में ही संभव नहीं है, यह धीरे-धीरे समय के साथ परिपक्व होता है। इसलिए जब भी आपके मन में नाकारात्मक विचार आये गहरी सांस लेकर उसे उसी समय निकल दें और अपना ध्यान कहीं और लगायें, या इस तरह की कोई प्रक्रिया जिसे आप पसंद करते हों अपनाएँ।  
4. शर्म के मरे छुपने की वजाय सामने आईये :
अपनी किसी भयंकर गलती के बाद शर्म से छुप जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं है। अपनी गलती के बाद मैं अपने दोस्त से नजरें मिलाने में झिझक रहा था क्यूंकि मुझे डर था की कहीं वह मुझे पिछली बात को याद न करा दे, लेकिन जैसे ही मैं उससे मिलने की हिम्मत जुटा पाया मैंने महसूस किया कि मेरा डर गलत था।
5. अपनी गलतियों के लिए आभारी बने :
अपनी गलतियों के प्रति आभारी होना आपको बिलकुल विचित्र लगेगा खासकर वैसी गलतियां जिनसे आपको शर्मिंदगी महसूस हुयी हो या दुःख पहुंचा हो लेकिन अगर आप गौर से एनालाइज करेंगे तो पाएंगे कि ऐसी की गयी गलतियों ने आपको कितना मजबूत और सुदृढ़ किया है।  आप ये देख पाएंगे कि इन्ही गलतियों की वजह से ही आप अधिक बुद्धिमान, मजबूत और विचारशील हो पाये हैं।  
इन्ही गळतोयों की वजह से ही मैं किसी भी बात पर जल्द निर्णय लेने से बचता हूँ और जब भी मैं परेशान होता हूँ तो मैं समय लेकर सोच विचार करके ही आगे की बातों को तय करता हूँ।  
आपने स्वयं को माफ़ करने में किन बातों से  मदद पायी है हमें जरूर बताएं, आपकी बातें अगर किसी और की मुश्किलें आसान करने में सहायक होंगी तो हम उन्हें इस पोस्ट में ऐड कर देंगे ताकि ढेर सारे लोग उन्हें पढ़ सकें।  
इस लेख के बारे में भी आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा !

 

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19:40 Nayisooch 0 Comments

 जिंदगी में बेहद उदास और हताश हो जाएँ तो याद रखें10 बातें

 

हमारे जीवन में अक्सर ऐसे मौके आते हैं जब हमें सारे दरवाजे बंद नजर आते हैं और हम बेहद निराश और  उदासी से घिर जाते हैं। ऐसे मौके पर हमें आपने आप को अपने परिवेश की अच्छी चीजों की याद दिलानी पड़ती है क्यूंकि ऐसी चीजें हमारे आस-पास हमेशा मौजूद रहती हैं, और जब हम अपनी और अपने आस-पास की अच्छाईयों पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो बाकि नकारात्मक चीजें अपने आप विलुप्त हो जाती हैं और हम पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और बुलंद इरादों के साथ आगे बढ़ते हैं।

हम ऐसी ही कुछ अद्भुत बातों के बारे में आपको बताएंगए जो हमेशा आपको मजबूती प्रदान करेंगे। तो जब भी उदासी और निराशा का बादल आप पर गहराए तो इन १० बातों को याद रखें : 

१. वक्त सारे घाव भर देता है : 
आप जिन परिस्थितियों से भी गुजरे हों, या फिर आपके हालत कितने भी बुरे क्यों न रहे हों, ये जल्द ही खत्म होंगे। आप इन हालातों से जूझना सीख जायेंगे और इनके साथ जीना भी सीख जाएंगे, धीरे धीरे आपको इन हालातों की आदत हो जाएगी और सब कुछ पहले जैसा सामान्य हो जायेगा।

२. मौके हर जगह हैं : 
हर दिन के साथ जिंदगी आपको अनगिनत मौके देती है; आपको बस उन्हें पहचानने और उनका सबसे अच्छा इस्तेमाल करने के लिए प्रयासरत होना पड़ेगा।

3. दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है जो आपकी मदद कर सकते हैं और आपको प्रेरित कर सकते हैं : 
हो सकता है आप नकारात्मक सोच और हमेशा जीवन को नकारने वाले बुरे लोगों से घिरे हों जो आपके लक्ष्यों का मजाक उड़ाते हों और हमेशा आपको नीचे दिखाने की कोशिश करते हों; मैं आपसे यही कहूँगा कि ऐसे लोगों से आप दूर ही रहें ; हमें ऐसे लोगों की जरुरत नहीं है, अगर आप ऐसे लोगों के साथ जुड़े रहते हैं तो आप कभी भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएंगे।

लेकिन यह भी याद रखें की हमारे आस पास अच्छे लोगों की भी कमी नहीं है जो हमेशा हमें प्रेरित करते है और हमारा उत्साह बढ़ाते है। इंटरनेट के युग में ऐसी वेबसाइटस और ब्लॉग्स भी हैं(जैसे हिंदी साहित्य मार्गदर्शन ) जो आपको बेहतर बनने में आपकी मदद करती हैं। आपको बस उन्हें पहचानना और खोजना है।

4. अगर आपको अपने बारे में कुछ पसंद नहीं है तो उसे आप कभी भी बदल सकते हैं : 
कमियां हम सब में होती हैं।  हो सकता है आपको अपना पतला या मोटा शरीर पसंद न हो या आप सोचते हों की आपके अंदर कुछ विशेष गुण नहीं है या फिर आप दूसरों से बातें करने में शरमाते हैं, लोगों के सामने बोलने में डर लगता है  इत्यादि ।

इन सभी चीजों को बदला सकता है; बस आपको ये जानना है की आप ऐसा बदलाव क्यों लाना चाहते हैं और इसके प्रति हमेशा प्रयासरत रहें। अगर आप वास्तव में अपना जीवन बदलना चाहते हैं तो हर दिन अपनी इन कमियों को दूर करने का प्रयास करें।  

5. कुछ भी उतना बुरा नहीं है जितना कि दिखता है : 
कभी-कभी हम हालातों को इतना बढ़ा चढ़ा कर देखने लगते हैं की वो हमारे लिए सबसे बुरा प्रतीत होने लगते हैं जबकि वास्तव में सब कुछ, कुछ ही समय के लिए होता है और बदला जा सकता है।

6. जीवन सुलझा होता है इसे उलझाएं नहीं :
हमें अपने जीवन को हमेशा सुलझाने का प्रयास करना चाहिए इसलिए अपने अति-महत्वकांछी लक्ष्यों को त्याग दें और लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं इसका अनुमान लगाना छोड़ दें।  जिन चीजों का इस्तेमाल आप बिलकुल नहीं करते हैं उनको फेंक दें और अपने डेस्क पर या घर में थोड़ा जगह बनायें। पुरानी बातों और भविष्य की चिंता में समय व्यर्थ न करें और वर्तमान में ध्यान केंद्रित करें।  

7. असफलताएँ और गलतियां आशीर्वाद /वरदान हैं :
असफल होना सफलता के लिए किये गए प्रयास का सबसे बड़ा प्रमाण है, इसका मतलब है कि आप अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रयासरत हैं।  

किसी भी कार्य में प्रयास करने पर भी असफलता आपको अनुभव प्रदान करती है और मजबूत बनाती है और आपको सिखाती है कि किन गलतियों को दोहराने से आपको बचना चाहिए जो अगले प्रयास में सफलता सुनिश्चित कर सकती है।  

8. "​जाने दो यारों"  ऐटिट्यूड अपनाएं : हमेशा आप प्रसन्न रहेंगे 
कभी कभी कुछ चीजों को छोड़ देना या किसी को माफ़ कर देना बहुत अच्छा साबित होता है। ऐसा करने से आपको शांति मिलती है और आपके मन से बोझ हल्का हो जाता है। शांत मन से ही आप वर्तमान में जी सकते हैं और अपने कार्यों में ध्यान लगाकर प्रगति कर सकते हैं।  

9. कायनात हमेशा आपके पक्ष में काम करती है न की विरोध में :
जीवन कभी-कभी हमें अन्यायपूर्ण लगता है और हम ये सवाल पूछने लगते हैं की "हमेशा मैं ही क्यों", लेकिन ऐसा सिर्फ इसलिए लगता है कि हम कभी कभी चीजों को कुछ ज्यादा ही व्यक्तिगत ले लेते हैं और कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगा बैठते हैं या फिर उतना प्रयास नहीं करते जितना हमें करना चाहिए था। ब्रम्हाण्ड हमें हमेशा संकेत देता रहता है लेकिन कभी कभी हम बंद दरवाजों की तरफ इतनी देर तक देखते रहते हैं की आगे के मौके हमें दिखाई नहीं देते।  आपको ब्रम्हांड के संकेतो को समझना होगा और आपके लिए जो सही है उसका चुनाव करना होगा।  

10 .  हर अगला दिन आपके लिए नयी उमीदों का भण्डार लेकर आता है :
जब भी मैं बुरा महसूस करता हूँ मैं आपने आप से ये दोहराता हूँ कि अगला दिन नयी उम्मीदों के साथ आएगा और अपने साथ कुछ नया लेकर आएगा और यही सच है। गुजरा दिन कितना ही बुरा क्यों न हो, आने वाला दिन नया होता है और हमें तय करना होता है की इसकी शुरुआत कैसे की जाय और इस कैसे बिताया जाय।  


याद रखिये कठिन परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं और कुछ लोग रिकॉर्ड तोड़ते हैं।  


 

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चपरासी के मैनेजिंग डाइरेक्टर की योग्यता

19:24 Nayisooch 0 Comments

                चपरासी के मैनेजिंग डाइरेक्टर की योग्यता

घटना स्काटलैण्ड के डन फर्म लाइन की है। एक निर्धन बालक ने जन्म लिया। उसका पिता एक छोटा सा खोन्चा लेकर फेरी लगाया करता था और माँ घर पर केक बनाकर सड़क के नुक्कड़ पर बैठकर बेचा करती थी। उसने देखा कि इस गरीबी के वातावरण में यहाँ रहकर विकास नहीं हो सकता। इस वातावरण से वह ऊब गया और घर वालों से बिना कहे अमरीका चला गया।

वहाँ उसे एक इस्पात कम्पनी में चपरासी का पद मिल गया। का
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म बहुत थोड़ा था जब घंटी बजती तभी मैनेजिंग डाइरेक्टर के सामने हाजिर हो जाता और काम पूरा करके कार्यालय के बाहर रखे एक स्टूल पर बैठ जाता। उसे बेकार समय गुजारते अच्छा न लगता था। अतः मैनेजिंग डाइरेक्टर की अलमारी से कोई पुस्तक निकाल लाता और खाली समय में बैठे बैठे पढ़ता रहता।

एक दिन किसी बात पर डाइरेक्टरों में विवाद होने लगा। वह किसी निर्णय पर पहुँचने की स्थिति में न थे। वह चपरासी सभी चर्चा सुन रहा था अपने स्थान से उठा और अलमारी से एक पुस्तक निकाल कर उस पृष्ठ को खोलकर उनकी मेज पर रख दिया।, जिसमें उस प्रश्न का उत्तर था। एक स्वर से उसकी विद्वत्ता को सराहा गया। इसीलिए तो मिल्टन ने कहा था कि मन चाहे तो स्वर्ग को नरक और नरक को स्वर्ग बना सकता है। क्योंकि मन को संस्कारवान बनाने और व्यक्तिगत तथा सामाजिक समृद्धि को प्राप्त करने का उपाय है उद्देश्य पूर्ण ढंग से स्वाध्याय।

उस चपरासी ने उद्देश्य पूर्ण और योजनाबद्ध ढंग से स्वाध्याय करके यह दिखा दिया कि थोड़े समय में एक चपरासी भी मैनेजिंग डाइरेक्टर की योग्यता को प्राप्त कर सकता है। प्रगति के क्षेत्र में वह यहीं तक नहीं रुका रहा वरन् अपने परिश्रम, लगन और निरन्तर स्वाध्याय से करोड़पति बना, जिसका नाम एंड्रयू कार्नेगी था।

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“प्रेम और विश्वास”सफलता के आयाम

19:17 Nayisooch 0 Comments

                    “प्रेम और विश्वास”सफलता के आयाम



जैसे हमारे शरीर का निर्माण 5 तत्वों का मिल कर हुआ हैं, इसी प्रकार सफलता के लिए 2 अहं बाते जो आपके पास होने चाहिए, वो हैं:- प्रेम और विश्वास


विश्वास, जो लोग विश्वास को मानते है. उन्हें उस विश्वास का परिणाम मिलाता हैं, हमारा विश्वास हमें अपने लक्ष तक पहुचता हैं, हेनरी फोर्ड  हमेशा कहते थे, हा मुझे विश्वास हैं, हा मुझे विश्वास हैं, हा मुझे विश्वास हैं, उन्ही शब्दों की शक्ति ने उन्हें अद्भुतपूर्व सफलता दिलाई, कई डॉक्टर अपने मरीजो को जादा दवाई दिलाने के पक्ष मैं नहीं होते, उनका कहना हैं, की ज्यादा दवाई खाने से रोग प्रतिकारक शक्ति कम होती हैं, इसलिए वो मरीजो को शक्कर की गोलिया यह कह कर देते हैं की, ये दवाई ज्यादा असरकारक हैं, और मरीज यह मनाकर दवाई लेता हैं की, दवाई उसे जल्दी ठीक करेंगी और उसका दर्द या रोग कम होंगा, इससे यह पता चलता हैं की, दिमाग का प्रभाव सीधा शरीर पे पड़ता है, यह विश्वास ही तो हैं और इसी विश्वास से लोगो का निदान होना भी संभव हैं, धीरूभाई अम्बानी (Dhirubhai Ambani), सचिन तेंदुलकर (Sachin Tedulkar), और महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), जैसे महान लोग जिन्हें स्वयम पर विश्वास था, और इन्होने चमत्कार कर दिखाए, इनके विश्वास ने एक चमत्कार किया और दुनिया उन्हें रोक नहीं पाई,  विश्वास के दम पर हम सभी ऐसा कर सकते हैं।  किसी ने सच ही कहा है :


  आशावादिता वो विश्वास है जो उपलब्धि की तरफ ले जाती है. बिना आशा और विश्वास                    के कुछ भी नहीं किया जा सकता.”


प्रेम इसके द्वारा हम किसी के भी मन में स्थान बना सकते हैं, प्रेम के नियम को आत्मसात करने के लिए हमें पूरा ध्यान प्रेम पर आत्मसात करना होंगा, क्योकी ये हमारे जीवन की सबसे अच्छी अभिव्यक्ति है, सभी लोगो को प्रेम के नियम का पालन करना चाहिए, इसका एक बड़ा उदाहरण “गौतम बुद्ध” हैं, उन्होंने केवल प्रेम से अपने मत का चलन पुरे विश्व मैं फैला दिया, उन्हें अपना लक्ष्य पाने के के लिए कोई तलवार या बन्दुक का सहारा नहीं लेना पड़ा, उन्होंने पुरे विश्व भर के लोगो का दिल जित लिया और वो भी केवल प्रेम से, दुनिया मैं बोदध धर्म एकमात्र ऐसा धर्म हैं जिसके लिए एक बूंद भी खून नहीं बहाया गया, देखो प्रेम की शक्ति कितनी बड़ी हैं. हम जब भी कोई चीज प्रेम से करते हैं तो वो और भी आसान (simple) हो जाती हैं, इसी तरह जब हम अपने काम पर प्रेम करते हैं तो काम - काम नहीं खेल बन जाता हैं,
            एक प्रेम-युक्त ह्रदय सभी ज्ञान का प्रारंभ है.”

 

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Shiv Khera Quotes In Hindi (शिव खेड़ा के अनमोल विचार )

21:57 Nayisooch 0 Comments

       Shiv Khera Quotes In Hindi (शिव खेड़ा के अनमोल विचार )

 
जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते, वो चीजों को  अलग तरह से करते हैं.
                                                                                                   -शिव खेड़ा

जीतने वाले लाभ देखते हैं, हारने वाले नुकसान
                                                                                                                             -शिव खेड़ा

"यदि आपको लगता है कि आप कर सकते हैं - तो आप कर सकते हैं अगर आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते - तो आप नहीं कर सकते दोनों ही सूरतों में आप सही हैं 

                                                                                                                               -शिव खेड़ा

विपरीत परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं , तो कुछ लोग लोग रिकॉर्ड तोड़ते हैं.
                                                                                                                               -शिव खेड़ा
विजेता बोलते हैं की " मुझे कुछ करना चाहिए " हारने वाले बोलते हैं की " कुछ होना चाहिए "
                                                                                                      -शिव खेड़ा
 
चरित्र का निर्माण तब नहीं शुरू होता जब बच्चा  पैदा होता है; ये बच्चे के पैदा होने के  सौ  साल पहले से शुरू हो जाता है|
                                                                                                      -शिव खेड़ा

सत्य का क्रियान्वन ही न्याय है.
                                                                                                       -शिव खेड़ा

जो  भी उधर लें उसे समय पर चूका दें क्यूंकि इससे आपकी  विश्वसनीयता बढाती है|
                                                                                                        -शिव खेड़ा
 
एक देश नारे लगाने से महान नहीं बन जाता.
                                                                                                        -शिव खेड़ा

किसी डिग्री का ना होने दरअसल फायेदेमंद है. अगर आप इंजिनियर या डाक्टर हैं तब आप एक ही काम कर सकते हैं.पर यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं है , तो आप कुछ भी कर सकते हैं.
                                                                                                        -शिव खेड़ा

हमारी बिजनेस से सम्बंधित समस्याएं नहीं होतीं, हमारी लोगों से सम्बंधित समस्याएं होती हैं.
                                                                                                        -शिव खेड़ा

अगर हम हल का हिस्सा नहीं हैं, तो हम समस्या हैं.
                                                                                                        -शिव खेड़ा
लोगों से साथ विनम्र होना सीखे| महत्वपूर्ण होना जरुरी है लेकिन अच्चा होना ज्यादा महत्वपूर्ण है |
                                                                                                         -शिव खेड़ा

कभी भी दुष्ट लोगों की सक्रियता समाज को बर्वाद नहीं करती, बल्कि हमेशा अच्छे लोगों की निष्क्रियता समाज को बर्वाद करती है.
                                                                                                         - शिव खेड़ा

आपने मित्रों को सावधानी से चुने | हमारे व्यक्तित्व की झलक न सिर्फ हमारे सांगत से झलकती है बल्कि, जिन संगतों से हम दूर रहते हैं उससे भी झलकती है |

                                                                                                          - शिव खेड़ा
जब कभी कोई व्यक्ति कहता है कि वो ये  नहीं कर सकता है , तो असल में वो दो चीजें कह रहा होता है. या तो मुझे पता नहीं है कि ये कैसे होगा या मैं इसे करना नहीं चाहता.
                                                                                                            -शिव खेड़ा

इन्स्पीरेशन  सोच  है जबकि मोटीवेशन कार्रवाई है.
                                                                                                                                        -शिव खेड़ा

आत्म-सम्मान और अहंकार का उल्टा सम्बन्ध है.
                                                                                                                                         -शिव खेड़ा

लोग इसकी परवाह नहीं करते हैं कि आप कितना जानते हैं, वो ये जानना चाहते हैं कि आप कितना ख़याल रखते हैं.
                                                                                                                                         -शिव खेड़ा
किसी को धोखा न दें क्यूंकि ये आदत बन जाती है , और फिर आदत से व्यक्तित्व |
                                                                                                                                          -शिव खेड़ा
अच्छे लीडर्स और लीडर्स बनाने की चेष्ठा करते हैं, बुरे लीडर्स और फालोवार्स बनाने की चेष्ठा करते हैं.
                                                                                                                                          -शिव खेड़ा

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