“प्रेम और विश्वास”सफलता के आयाम
“प्रेम और विश्वास”सफलता के आयाम
जैसे हमारे शरीर का निर्माण 5 तत्वों
का मिल कर हुआ हैं, इसी
प्रकार सफलता के लिए 2 अहं बाते जो आपके पास होने चाहिए, वो
हैं:- प्रेम और विश्वास
विश्वास, जो लोग विश्वास को मानते है. उन्हें उस विश्वास का परिणाम मिलाता हैं, हमारा विश्वास हमें अपने लक्ष तक पहुचता हैं, हेनरी फोर्ड हमेशा कहते थे, हा मुझे विश्वास हैं, हा मुझे विश्वास हैं, हा मुझे विश्वास हैं, उन्ही शब्दों की शक्ति ने उन्हें अद्भुतपूर्व सफलता दिलाई, कई डॉक्टर अपने मरीजो को जादा दवाई दिलाने के पक्ष मैं नहीं होते, उनका कहना हैं, की ज्यादा दवाई खाने से रोग प्रतिकारक शक्ति कम होती हैं, इसलिए वो मरीजो को शक्कर की गोलिया यह कह कर देते हैं की, ये दवाई ज्यादा असरकारक हैं, और मरीज यह मनाकर दवाई लेता हैं की, दवाई उसे जल्दी ठीक करेंगी और उसका दर्द या रोग कम होंगा, इससे यह पता चलता हैं की, दिमाग का प्रभाव सीधा शरीर पे पड़ता है, यह विश्वास ही तो हैं और इसी विश्वास से लोगो का निदान होना भी संभव हैं, धीरूभाई अम्बानी (Dhirubhai Ambani), सचिन तेंदुलकर (Sachin Tedulkar), और महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), जैसे महान लोग जिन्हें स्वयम पर विश्वास था, और इन्होने चमत्कार कर दिखाए, इनके विश्वास ने एक चमत्कार किया और दुनिया उन्हें रोक नहीं पाई, विश्वास के दम पर हम सभी ऐसा कर सकते हैं। किसी ने सच ही कहा है :
“आशावादिता
वो
विश्वास है जो उपलब्धि की तरफ ले जाती है. बिना आशा और विश्वास
के
कुछ भी नहीं किया जा सकता.”
प्रेम इसके द्वारा हम किसी के भी मन में स्थान बना सकते हैं, प्रेम के नियम को आत्मसात करने के लिए हमें पूरा ध्यान प्रेम पर आत्मसात करना होंगा, क्योकी ये हमारे जीवन की सबसे अच्छी अभिव्यक्ति है, सभी लोगो को प्रेम के नियम का पालन करना चाहिए, इसका एक बड़ा उदाहरण “गौतम बुद्ध” हैं, उन्होंने केवल प्रेम से अपने मत का चलन पुरे विश्व मैं फैला दिया, उन्हें अपना लक्ष्य पाने के के लिए कोई तलवार या बन्दुक का सहारा नहीं लेना पड़ा, उन्होंने पुरे विश्व भर के लोगो का दिल जित लिया और वो भी केवल प्रेम से, दुनिया मैं बोदध धर्म एकमात्र ऐसा धर्म हैं जिसके लिए एक बूंद भी खून नहीं बहाया गया, देखो प्रेम की शक्ति कितनी बड़ी हैं. हम जब भी कोई चीज प्रेम से करते हैं तो वो और भी आसान (simple) हो जाती हैं, इसी तरह जब हम अपने काम पर प्रेम करते हैं तो काम - काम नहीं खेल बन जाता हैं,
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